अल्मोड़ा। इसे पहाड़ का दुर्भाग्य कहें या फिर सरकारों की उपेक्षा, जो भी हो उत्तराखण्ड गठन के 21 साल बाद भी बिनसर वन्य जीव अभ्यारण्य के बीच बसे गांव अब बंजर होने की कगार पर हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो एक समय था जब यहां अच्छी-खासी आबादी निवास करती थी और खेती-बाड़ी करके ही लोगों की अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन अब ये गांव पलायन का दंश झेल रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं के आभाव में बिनसर वन्य जीव अभ्यारण्य मे बसे गांव कटधारा, गौनाप, रिसाल, दलाड सातरी गांव अब बंजन होने की कगार पर हैं। ग्रामीणों की मानें तो गौनाप और कटधारों आज से 20-25 साल पहले एक आबाद, स्वावलंबी गांव था, साग-सब्जी और फलों के लिए ये गांव प्रसिद्ध थे। वहीं सातरी गांव जहां पहले अच्छी-खासी आबादी निवास करती थी, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के आभाव में लोग यहां से पलायन कर गए और अब यहां कुछ ही परिवार निवास करते हैं। ग्रामीणों की मानें तो सरकार की उपेक्षा और जंगली जानवरों के आतंक के चलते लोग यहां से बाहर को पलायन कर रहे हैं। किसानों के अनुसार वह सालभर खेती-बाड़ी के लिए मेहनत करते हैं और जब फसल तैयार होती है तो जंगली जानवर उसे तहस-नहस कर देते हैं, जिसके चलते उनकी मेहनत खराब होती है और उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के चलते आज भी उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।