आज देशभर में सुहागिन महिलाओं द्वारा करवाचौथ व्रत रखा गया है। इस व्रत का जहां महिलाओं को सालभर से इंतजार रहता है वहीं इस दिन को लेकर खासा उत्साह भी। सप्ताहभर से महिलाएं इसकी तैयारियों में जुटी हुई थीं, कल जिलेभर में महिलाओं ने बाजारों में पहंुचकर खरीददारी की और मेहंदी लगाई। कहा गया है कि करवा चौथ के दिन चंद्र दर्शन के बिना व्रत अधूरा रहता है। मान्यता है कि चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने से चंद्र देव पति को लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। बताया जा रहा है कि इस साल चंद्रोदय का समय 08 बजकर 11 मिनट पर है। करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा। जानकारों की मानें तो आज सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर चतुर्थी तिथि लग गयी है और कल सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आज पूजा का शुभ समय 6 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। बता दें कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। इसे करक चतुर्थी भी कहा जाता है। यूं तो करवा चौथ के व्रत और पूजा को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन कहा जाता है कि सत्यवान और सावित्री के साथ घटी घटना के बाद से ही करवाचौथ का व्रत प्रचलन में आया। कहा जाता है कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी सावित्री ने उनसे अपने पति के प्राणों की भीख मांगी और निवेदन किया कि वह उसके सुहाग को न लेकर जाएं, लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी। जिसके बाद सावित्री ने अन्न-जल त्याग दिया और अपने पति के शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। पतिव्रता सावित्री के इस तरह विलाप करने से यमराज पिघल गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि वह अपने पति सत्यवान के जीवन की बजाय कोई और वर मांग ले तो सावित्री ने यमराज से कहा कि मझे कई संतानों की मां बनने का वर दें और यमराज ने भी हां कह दिया। पतिव्रता होने के नाते सावित्रि अपने पति सत्यवान के अतिरिक्त किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती थी, जिसके बाद यमराज ने वचन में बंधने के कारण सावित्री को सत्यवान का जीवन सौंप दिया। कहा जाता है कि तभी से सुहागिनें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने अखंड सौभाग्य के लिए अन्न-जल त्यागकर करवा चौथ के दिन व्रत करती हैं।