देहरादून। छह दिन बाद उसने घर आना था! उसके आने की खबर से घर में खुशियों का माहौल बन गया था। मां-बाबा को बेटे तो पत्नी को पति और एक डेढ़ साल के बच्चे को अपने पापा से मिलने का बेसब्री से इंतजार था, लेकिन किसी को पता नहीं था कि घर पर बना खुशियों का माहौल अचानक मातम में बदल जायेगा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए टिहरी गढ़वाल के विक्रम सिंह नेगी और चमोली के योगंबर सिंह के पार्थिव शरीर आज उत्तराखण्ड लाए गए। यहां हजारों नम आंखों ने इन दोनों शहीदों को श्रृद्धांजलि दी और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा तबतक तुम्हारा नाम रहेगा’ बोलकर उनकी वीरता और बलिदान को सलाम किया। बता दें कि जम्मू के पूंछ जिले के नाढ़खास में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान ये दोनों शहीद हो गए थे। जैसे ही दो जवानों के शहीद होने की खबर पता चली तो परिजनों के साथ ही पूरे उत्तराखण्ड में शोक की लहर दौड़ गयी। बताया जाता है कि आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए टिहरी जनपद के नरेन्द्रनगर ब्लाक के विमाण गांव निवासी 26 वर्षीय राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी पांच साल पहले ही सेना में भर्ती हुए थे। तीन साल पहले उनकी शादी हुई और उनका एक डेढ़ साल का बेटा भी है। विक्रम अपने घर का इकलौता बेटा था और इसी साल जुलाई में वह गांव आए थे और डेढ़ महीने की छुट्टियां बिताने के बाद वह वापस ड्यूटी पर चले गए थे। अभी हाल ही में उन्होंने घर पर बात करके परिजनों से आगामी 22 अक्टूबर को घर आने का वादा किया था, लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वह अपना ये वादा पूरा नहीं कर पायेंगे। घर तो जायेंगे पर तिरंगे से लिपटकर और किसी से बात नहीं कर पायेंगे। उनके आने की खबर से घर में खुशियों में माहौल था। इस दौरान जहां मां-बाबा अपने इकलौते बेटे के घर आने की खबर से खुश थे तो वहीं पत्नी और मासूम बेटा उनका बेसब्री से इंतजार कर रहा था, लेकिन वह छह दिन पहले आ तो गए, लेकिन तिरंगे से लिपटकर। आज जैसे ही उनका पार्थिव शरीर गांव में पहुंचा तो हजारों लोगों ने उन्हें नम आंखों से श्रृद्धांजलि दी। मां-बाबा और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं चमोली में भी योगंबर सिंह को श्रृद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ आया। लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।