अल्मोड़ा। यहां अल्मोड़ा डायट में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूल रेडिनस कार्यक्रम ‘आरोही’ एवं 100 डेज रीडिंग कैम्पेन अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान नई शिक्षा नीति 2020 को 100 डेज रीडिंग अभियान में भी जनवरी 2022 माह से अप्रैल 2022 तक पढ़ने की आदत एक से चार के बच्चों में कैसे विकसित की जाए, इस पर डायट अल्मोड़ा में पूरे जनपद में 11 विकास खंडों के 107 संकुलों से 214 प्राथमिक शिक्षकों का एक दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में आज 6 विकासखंडों के 54 संकुल के 108 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया। वहीं कल 5 विकासखंड के 53 संकुल के 106 शिक्षकों के साथ-साथ ग्यारह विकास खंडों के उप शिक्षा अधिकारी भी इसमे प्रतिभाग करेंगे।
इस दौरान कार्यक्रम के शुभारंभ मौके पर वक्ताओं ने कहा कि हमारे देश में लगभग 35 वर्षों के बाद 1986 में तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्थान ले रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं का क्रियान्वयन विद्यालय स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक प्रारंभ हो चुका है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत प्रमुख कार्यक्रम ‘निपुण भारत’ NIPUN ( नेशनल इनिशिएटिव फ़ॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग अंडर स्टैंडिंग इन न्यूमेरेसी) प्रारंभ किया गया है। इसी के दृष्टिगत राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत बच्चों में मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान FLN (फाउंडेशनल लिट्रेसी एंड न्यूमेरेसी) के कौशल को विकसित करने हेतु विशेष जोर दिया गया है। कहा गया कि इसके तहत ‘निपुण भारत का सपना सब बच्चे समझें, भाषा और गणना’ इसकी संकल्पना की गई है। प्राथमिक शिक्षण की महत्ता को देखते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लेख किया गया है कि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता 2025 तक प्राथमिक और उससे आगे सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने की होनी चाहिए।
वक्ताओं ने कहा कि निपुण (NIPUN)भारत मिशन का मुख्य उद्देश्य 3 से 9 वर्ष की आयु के बच्चों की अधिगम आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु बुनियादी साक्षरता में मौखिक भाषा का विकास, शब्द भंडार लेखन, पढ़ने की आदत, ध्वनि बोध, समझ के साथ धाराप्रवाह पठन आदि संख्या ज्ञान में प्रारंभिक गिनती की अवधारणा मापन संख्या एवं संख्या संबंधी कार्य, आकार और स्थानिक समझ प्रमुख है। 3 से 9 वर्ष के बच्चों में उक्त बुनियादी साक्षरता एवं संख्या का ज्ञान से पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों के क्षमता संवर्धन हेतु निष्ठा प्रशिक्षण NISHTHA (नेशनल इनिशिएटिव फ़ॉर स्कूल हैड एंड टीचर्स होलीस्टिक डेवलपमेंट) विगत 2 वर्षों से चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत ऑफलाइन/ ऑनलाइन प्रशिक्षण में शिक्षकों के क्षमता संवर्धन हेतु विभिन्न मॉड्यूल रखे गए हैं जो न केवल स्वयं अभिभावकों हेतु लाभकारी सिद्ध होंगे बल्कि छात्रों और छात्राओं को भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाएगा।
इस दौरान ‘आरोही’ कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. हेम चंद्र जोशी ने बताया कि बाल वाटिका में प्रवेश करने वाले एवं कक्षा एक में नव प्रवेशित बच्चों के लिए 90 दिनों का यह कार्यक्रम सीखने, पढ़ने और लिखने की बुनियादी दक्षताओं को प्राप्त करेगा।
बता दें कि 214 प्रतिभागी शिक्षक इसके जनपदीय कार्यशाला के उपरांत अपने-अपने विकासखंड में भी समस्त भाषा के गणित के प्राथमिक शिक्षकों का अभिमुखीकरण करेंगे।
इस कार्यशाला में देहरादून से आए एस.सी.ई.आर.टी. के राज्य समन्वयक डॉ. के. एन. विज्लवाण ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। डॉ.बिजल्वाण ने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु उनकी मूलभूत अर्थात शुरुआती भाषा एवं संख्या ज्ञान के कौशलों पर अध्यापक एवं अभिभावक दोनों ध्यान देंगे जिससे बच्चा मूलभूत भाषाई और गणितीय ज्ञान के मजबूत आधार के साथ जीवन में आगे बढ़ सके। इससे पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी सुभाष चंद्र भट्ट द्वारा कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी पर वादित लक्ष्यों को पूर्ण करने हेतु निर्देशित किया गया। डायट प्राचार्य डॉ. राजेंद्र सिंह ने सभी शिक्षकों को इस कार्यक्रम में बच्चों को शत प्रतिशत लाभ पहुंचाने की बात कही। जिला शिक्षा अधिकारी सत्यनारायण ने भी केंद्र एवं राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुपालन की बात कही। कार्यक्रम में डॉक्टर हेम जोशी, डॉ. भुवन चन्द्र पांडेय, एम एस भंडारी, डॉ. दीपा जलाल, गोपाल गिरी गोस्वामी, के अलावा तमाम लोग मौजूद रहे। बता दें कि इसमें सहयोगी संस्था ‘रूम टू रीड’ की जनपद संयोजक स्मृति गुप्ता और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के संदीप कुमार और सोनालिका भी सहयोग कर रहे है।
कार्यशाला में जीएस गैड़ा, एल. एम. पांडे, पुष्पा बोरा, डॉ. हरीश चंद्र जोशी, अशोक बनकोटी, अदिति,अभिनव, दीपक,नृपेंद्र, चंपा देवली, सुनीता देवी, दिनेश बिष्ट, राजेन्द्र कुमार आदि थे।कार्यक्रम का संचालन डॉ. हेमचन्द्र जोशी व भुवन चन्द्र पांडेय ने संयुक्त रूप से किया।