उत्तराखण्ड में पिछले दिनों आई आपदा के जख्म अब धीरे-धीरे भर रहे हैं। लोग बेपटरी हुई जिन्दगी को पटरी पर लाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। शासन-प्रशासन से लेकर समाजसेवक भी आपदा पीड़ितों की मदद के लिए लगातार आगे आ रहे हैं। लेकिन आपदा की घडी में उत्तराखण्ड पुलिस ने जो किया वह जगजाहिर है, पुलिस के जवानों ने न केवल अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाया बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर भी पहुंचाया। आज हर तरफ उत्तराखण्ड पुलिस की सराहना हो रही है। एक तरफ आपदा के बाद पुलिस, शासन-प्रशासन और समाजसेवी लोगों की मदद कर रहे हैं और शासन स्तर पर लोगों के लिए बने राहत कैंपों पर पुलिस द्वारा लगातार संपर्क कर उनकी सुख-सुविधाओं का ख्याल रखा जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग आपदा की घड़ी में भी ओछी हरकतें करने से बाज नहीं आ रही हैं। लोग मदद के नाम पर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को परेशान करने के मौके ढूंढ रहे हैं। हाल ही में रुद्रपुर में पुलिस अधिकारी के फोन पर एक आपदा प्रभावित ने कॉल किया। कॉलर ने जिस अंदाज में पुलिस अधिकारी से बात की उससे यही लगता है कि आपदा के समय भी उसे मौज सूझ रही है। आपदा प्रभावित ने फोन कर कहा ‘साहब राहत केन्द्रों पर भोजन बढ़िया मिल रहा है, लेकिन आइसक्रीम नहीं मिल रही है। आइसक्रीम मिल जाए तो मजा आ जायेगा’। इसपर अधिकारी ने बड़ी संयमता से जवाब देते हुए कहा कि जल्द ही आइसक्रीम भी मुहैया कराई जायेगी। हांलाकि आइसक्रीम की मांग करना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन आपदा के समय जब लोग दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हों और पुलिस के अधिकारी व कर्मचारी दिनरात लोगों की सेवा में जुटे हों तब इस प्रकार की डिमांड सोच के स्तर को बयां करती हैं।