29,10,2022, उत्तराखंड: उत्तराखंड में लंपी स्किन डिजीज वायरस अब तक सैकड़ों दुधारू पशुओं को चपेट में ले चुका है। कुमाऊं मंडल में पशुपालन विभाग की मुस्तैदी का ही असर है कि अब तक यहां सिर्फ 98 मवेशी संक्रमित मिले हैं, जिनकी मृत्यु दर शून्य प्रतिशत है। दूसरी ओर, देहरादून और हरिद्वार में 10 हजार संक्रमितों में से 260 से अधिक मवेशी दम तोड़ चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों की बात करें तो कुमाऊं मंडल में अब तक सिर्फ 98 मवेशी संक्रमित मिले हैं। जिनमें से 60 रिकवर हो चुके हैं। सबसे अधिक 38 मामले हल्द्वानी में मिले हैं। पशुपालन विभाग के मुताबिक 25 मवेशी ठीक हो चुके हैं जबकि अन्य का उपचार चल रहा है।
देहरादून में 8700 मवेशी संक्रमित
देहरादून में लंपी वायरस से करीब 8700 मवेशी संक्रमित हो चुके हैं। जिनमें से 224 की मौत और पांच हजार से अधिक रिकवर हो चुके हैं। पशुपालन विभाग की ओर से यहां 52 हजार से अधिक पशुओं का टीकाकरण भी किया जा चुका है। यही स्थिति हरिद्वार की बनी हुई है। यहां अब तक 1200 मवेशी इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। जिनमें से 36 दम तोड़ चुके हैं।
क्या है लंपी स्किन डिजीज
लंपी नाम की बीमारी दरअसल एक किस्म का दुधारू पशुओं में होने वाला वायरल इंफेक्शन है। ये बीमारी मक्खी, मच्छर या किसी ऐसे कीड़े के जरिये फैल रही है, जो गायों का खून पीता हो। इस वायरस की चपेट में आई गायों में बुखार, स्किन पर लगातार बढ़ने वाली गांठ या फफोले जैसे लक्षण नजर आते हैं।
बचाव के उपाय
लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें
मक्खी, मच्छर, जूं आदि को मार दें
मवेशी की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें
पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें
जिलों में टीमें गठित करने के साथ ही 3.35 लाख वैक्सीन वितरित की है, जिसके सापेक्ष अब तक 2.65 लाख टीकाकरण हो चुका है। मवेशी पालकों को भी लगातार जागरूक किया जा रहा है। नेपाल और उत्तर प्रदेश सीमा पर समय से पशुओं को लाने पर पाबंदी लगने से लंपी वायरस को रोकने में काफी मदद मिली है।