उत्तराखंड में जाड़ों में अब तक बारिश और बर्फबारी नहीं हुई है। जिससे अल्मोड़ा जिले में 129 दिन पूर्व सिर्फ 6.2 एमएम बारिश हुई थी, इसके बाद मौसम का साथ नहीं मिला। लंबे समय से बारिश न होने से 28 हजार हेक्टेयर में बोई गई रबी की फसल सूखे के कगार पर है। कृषि अधिकारी भी मानते हैं कि अब बारिश का फसलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस बार उत्पादन 60 फीसदी घटने की आशंका है।
अल्मोड़ा में 28 हजार हेक्टेयर में गेहूं, जौ, सरसों, मसूर, मटर आदि फसल बोई गई है। फसलों की बढ़वार और बेहतर उत्पादन के लिए नवंबर माह की बारिश बेहतर बताई जाती है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जिले में नवंबर माह में 18 एमएम बारिश होनी चाहिए लेकिन 17 सितंबर के बाद यहां बारिश की एक बूंद भी नहीं पड़ी है। इस वजह से पूरी फसल लगभग चौपट होने के कगार पर है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक चार माह से बारिश न होने से फसल की बढ़वार पूरी तरह थम गई है। हालात यह हैं कि अब बारिश का भी फसलों पर कोई अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूखने के कगार पर पहुंच चुकी फसल अब हुई बारिश से हरी हो सकती है, लेकिन पर्याप्त कलियां, फूल न निकलने से इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार फसलों का उत्पादन 60 प्रतिशत से अधिक घटने की पूरी आशंका है।
मौसम की बेरुखी से कृषि विशेषज्ञों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में जिले में खेती से आजीविका चला रहे एक लाख से अधिक किसान सूखे की मार सहने के लिए मजबूर हैं। उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है। भले की कृषि विभाग अब हुई बारिश को फसलों के लाभदायक नहीं बता रहा है लेकिन वह सूखे के आंकलन के लिए कुछ दिनों का इंतजार और कर रहा है। अधिकारियों के मुताबिक फरवरी माह से सूखे का आंकलन शुरू होगा।