अल्मोड़ा। जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर हवालबाग ब्लाक में शीतलाखेत की ऊंची पहाड़ियों पर माता स्याही देवी के प्राचीन मंदिर में नवरात्र के मौके पर भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। प्राचीन मंदिर में हो रही भागवत कथा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। यहां हर रोज दूर-दराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और प्रभु की भक्ति में लीन हो रहे हैं।
शास्त्री मुकेश जोशी द्वारा आज रामा अवतार की कथा सुनाई गई। इस दौरान समिति के अध्यक्ष मुकेश रौतेला ने बताया नवरात्र के मौके पर आयोजित भागवत कथा में लगभग 4000 भक्त सुबह से मंदिर में आ चुके हैं और भक्तों का आने का क्रम लगातार जारी है। कथा वाचक मुकेश जोशी ने बताया कि माता का यह धाम मोक्ष का द्वार है। क्षेत्र पंचायत सदस्य गोपाल गुरुरानी का कहना है कि यह मंदिर उतरखंड में मां भगवती के 9 मंदिरों में एक प्रमुख मंदिर माना जाता है।
बता दें कि माता माता स्याही देवी के मंदिर से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि इस मंदिर में माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। लोगों का कहना है कि मंदिर में लगी माता की मूर्ति के तीन रूप दिखाई देते हैं। सुबह माता का रूप सुनहरा, दिन में काला और शाम को सांवला होता है। लोगों के अनुसार मंदिर में लगे एक देवदार एवं दो बांज के पेड़ों से मंदिर के ऊपर शेर की आकृति बनती है जो दूर से साफ दिखाई देती है।
इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासन काल में हुआ था और कत्यूरी राजाओं ने इस मंदिर को एक रात में बनवाया था। बताया जाता है कि यह मंदिर पहले वर्तमान स्थान से करीब आधा किलोमीटर दूर घने जंगल में था और तब उस समय वहां जंगली जानवरों का भय रहता है। इसीलिए बहुत ज्यादा भक्त वहां नहीं जा पाते थे। बाद में कत्यूरी राजाओं ने इस मंदिरा का निर्माण शीतलखेत की ऊंची पहाड़ियों पर कराया। बताया जाता है कि पुराने मंदिर में कुछ दिनों तक स्वामी विवेकानंद ने तपस्या भी की थी। मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहा है। नवरात्रि में तो दूर-दूर से भक्त माता स्याही देवी के दर्शन और आशिर्वाद प्राप्त करने आते हैं।