अल्मोड़ा। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में एनसीईआरटी नई दिल्ली द्वारा चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है, जो लगातार जारी है। कार्यशाला का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों में से प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देकर बच्चे के बहुआयामी विकास को महत्व देना है। इसके अंतर्गत उत्तराखण्ड राज्य की क्षेत्रीय भाषाओं (मुख्य रूप से कुमाऊंनी एवं गढ़वाली भाषा के लोक साहित्य को समृद्ध कर विद्यालयों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं तक पहुंचाना है। कार्यशाला का शुभारंभ एनसीईआरटी की प्रोफेसर इंचार्ज उषा शर्मा द्वारा वर्चुवली माध्यम से किया गया। उन्होंने राज्य के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं के महत्व को विस्तारपूर्वक बताया। एनसीईआरटी के सहायक निदेशक डॉ. केएन विजल्वाण द्वारा सभी प्रतिभागियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में बताया गया। मुख्य अतिथि संयुक्त निदेशक कंचन देवरानी रहीं। कार्यशाला में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों तथा दोनों मंडलों के तीस डायट शिक्षकों एनसीईआरटी के विशेषज्ञों व विभिन्न विद्यालयों के कुमाऊंनी व गढ़वाली भाषा के विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में एनसीईआरटी नई दिल्ली की कार्यशाला संयोजक डॉ. ज्योति तिवारी द्वारा बताया गया कि लोक भाषाओं को समृद्धि हेतु शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा यह प्रयास विभिन्न राज्यों में किए जा रहे हैं। इस मौके पर डॉ. रमेश पंत, डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. हरेन्द्र अधिकारी, सुशील गैरोला, डॉ. उमेश चमोला, सीमा शर्मा, नंदी बहुगुणा, डॉ. अजंता सिंह, डॉ. राजीव जोशी, केपी चंदोला, दिनेश खेतवाल, डॉ. सीएम जोशी, यश अग्रवाल, सुजात गर्ग, पलक अग्रवाल, प्रताप सिंह, खुशबू वर्मा, ईशान गर्ग, जीएस गैड़ा, डॉ. हरीश जोशी, डॉ. भुवन चंद्र, डॉ. पीसी पंत, पुष्पा बोरा, डॉ. दीपा जलाल, डॉ. संगीता पाण्डे, एलएम पाण्डे, अशोक बनकोटि आदि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डायट प्राचार्य जीजी गोस्वामी तथा संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. हेम चंद्र जोशी द्वारा किया गया।