अल्मोड़ा/हल्द्वानी। एक तरफ हमारी सरकारें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर समय-समय पर बड़ी-बड़ी बातें करती हैं तो वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों में मरीजों को सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। जरूरतमंदों को फ्री में इलाज मिल सके इसके लिए योजनाओं चलाई जाती हैं, लेकिन इन योजनाओं की जटिलताओं में मरीज और उनके तीमारदार इस कदर उलझ जाते हैं कि उन्हें कुछ भी समझ नहीं आता।
इसे गरीबी की मार कहें या फिर सरकारी कामकाज, जो भी हो हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती एक मासूम के पिता अपने बच्चे के इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। अल्मोड़ा जिले के डालाकोट निवासी भुवन चंद्र पंडिताई का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। अभी हाल ही में 20 जुलाई को उनका 10 वर्षीय बच्चा खेलते-खेलते गिर गया, जिसमें उसे काफी चोट आई। आनन-फानन में परिजन उसे अल्मोड़ा जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन यहां उसकी चिंताजनक हालत को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। परिजन उसे बेस चिकित्सालय लेकर पहुंचे, यहां से भी डॉक्टरों ने उसे सुशीला तिवारी अस्पताल भेज दिया। जहां उसका प्राथमिक उपचार किया जा रहा है।
बच्चे के पिता भुवन चंद्र की मानें तो उनका बेटा काफी गंभीर है और उनके पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वह अपने बच्चे को दिल्ली और ऋषिकेश ले जा सकें। उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। आवाज इंडिया और अल्मोड़ा टुडे सरकार, सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक संगठनों से अपील करता है कि इस कठिन समय में डालाकोटी परिवार की मदद करें।