पिथौरागढ़। हैलो…हैलो…हां जी आप ललिता देवी बोल रही हैं, ललिता, हां सर हां….! मैं पिथौरागढ़ से डीएम आशीष चौहान बोल रहा हूं, क्या हुआ आपके मरीज को… ललिता, सर उनका शुगर लेवल बहुत डाउन हो गया और मैं उन्हें जिला अस्पताल लेकर आई हूं। डीएम, अच्छा….अब कैसे हैं वो…ललिता, कुछ ठीक नहीं हैं सर… अभी-अभी उन्हें खून की उल्टी हो गयी थी और उनका शुगर लेवल 27 तक पहुंच गया है। डीएम, तो डॉक्टर क्या कह रहे हैं… ललिता, सर डॉक्टर साहब बोले हैं कि इन्हें हायर सेंटर ले जाना पड़ेगा, लेकिन इतनी देर होने के बाद भी ना तो हमारे मरीज को ठीक से देखा जा रहा है और ना ही डिस्चार्ज किया जा रहा है। डीएम, अच्छा कौन है वहां अस्पताल में मेरी बात करवाओ उनसे… ललिता, ठीक है सर मैं बात करवाती हूं। ललिता, अस्पताल कर्मियों से आपसे डीएम साहब बात करना चाहते हैं बात कर लीजिए। अस्पताल कर्मी कौन… क्या… हमें नहीं करनी बात, हम डीएम से बात करें या मरीजों को देखें। डीएम, रूको में आता हूं अस्पताल आप घबराओ नहीं, आपके मरीज को कुछ नहीं होगा। जी हां खबर सही है, कुछ ऐसा ही हुआ कल पिथौरागढ़ में। दरअसल कल पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में थल निवासी अध्यापक किशन को शुगर लेवल डाउन होने की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। लेकिन यहां भर्ती होने के बाद ना तो उनकी सेहत में कोई सुधार हुआ और ना ही उनकी देखरेख हुई। देखते ही देखते उनकी हालत इतनी बिगड़ गयी कि वह खून के उल्टी करने लगे। पति को खून की उल्टी करती देख पत्नी घबरा गयी और अस्पताल में मौजूद कर्मियों से देखने को कहा। तभी अस्पताल कर्मियों ने उन्हें ग्लूकोस चढ़ा दिया। काफी देर बाद भी जब अध्यापक किशन की तबियत में सुधार नहीं हुआ तो एक अस्पताल कर्मी ने उनकी पत्नी ललिता से कहा कि इनकी हालत ठीक नहीं है इन्हें रैफर करना पड़ेगा। इसपर ललिता ने कर्मी से कहा कि ठीक है इन्हें डिस्चार्ज कर दो हम हल्द्वानी ले जायेंगे। रैफर की बात कहकर अस्पताल कर्मी अपने-अपने कामों में लग गये। काफी देर बाद भी जब डिस्चार्ज नहीं मिला तो मरीज की पत्नी ललिता ने अस्पताल कर्मियों से डिस्चार्ज की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। कुछ देर बाद यह बात आवाज 24X7 इंडिया के संपादक सुनील मेहता को पता चली तो उन्होंने जिलाधिकारी से बात की। जिलाधिकारी ने तुरंत एक्शन लेते हुए मरीज की पत्नी ललिता से बात की। जब डीएम ने ललिता से अस्पताल कर्मियों से बात करवाने को कहा तो वहां मौजूद कर्मियों ने जिलाधिकारी से तक बात करने से मना कर दिया। इसके बाद जिलाधिकारी चौहान रात को ही अस्पताल के लिए निकल गये। अस्पताल पहुंचने पर जिलाधिकारी चौहान ने न केवल कर्मियों को लताड़ लगाई बल्कि मरीज किशन को हल्द्वानी के लिए रैफर भी कराया। इस दौरान डीएम चौहान ने अस्पताल में भर्ती एक बच्चे के परिजनों को पांच हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी और बच्चे को हल्द्वानी भिजवाया। बताया जाता है कि इस बच्चे की हालत गंभीर थी लेकिन परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह कुछ नहीं कर पा रहे थे। जब डीएम चौहान को यह बात पता चली तो उन्होंने पांच हजार रूपए देकर उनकी मदद की। अध्यापक किशन की पत्नी ललिता और बच्चे के परिजनों ने जिलाधिकारी का आभार जताया। वहीं आज जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर चला तो हर किसी ने जिलाधिकारी आशीष चौहान की तारीफ की और हर जिले में ऐसे ही अधिकारी होने की बात कही। उधर डीएम के कार्यों की चहुं ओर सराहना हो रही है।