नैनीताल। कुछ दिन पहले सूर्य पर अत्यधिक सौर्य सक्रियता और इससे पृथ्वी पर भू चुंबकीय तूफान आने की संभावना का की खबरें सामने आई थी अब इस तूफान के परिणामस्वरूप घटित एक बहुत ही दुर्लभ और अविश्वसनीय घटना प्रकाश में आई है जिसमें पहली बार भारत में औरोरा (ध्रुवीय ज्योतिपुंज) कैमरे में रिकॉर्ड किए गए हैं। बीते दो महीने से सूर्य पर चल रही अत्यधिक सोलर सक्रियता और पृथ्वी के आकार से 30 गुना बड़े छिद्र(कोरोनल होल) के कारण पृथ्वी की ओर आने वाले ऐसे तूफान के बाद इतिहास में पहली बार भारत में औरोरा (ध्रुवीय ज्योतिपुंज) कैमरे में रिकॉर्ड किए गए हैं। चुनिंदा ध्रुवीय देशों में बहुत ज्यादा ऊंचाई पर नजर आने वाले इन औरोरा के भारत में इतनी कम ऊंचाई पर पहली बार नजर आने से वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
गत 24 मार्च को पृथ्वी पर बीते छह वर्षों में जी 4 श्रेणी का सबसे शक्तिशाली सौर भू-चुंबकीय तूफान आया था। जो दूसरे नंबर का सर्वाधिक तीव्र सौर तूफान माना जाता है। इसके बाद से यह सिलसिला हफ्तों जारी रहा जिसके बाद 21 अप्रैल को यह दुर्लभ और आकर्षक घटना घटित हुई। वैज्ञानिकों के अनुसार 21 अप्रैल को सूर्य से लगभग 21 लाख किमी प्रति घंटे की गति से एक वृहद कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) पृथ्वी पर पहुंचा था। यह इतना सशक्त था कि इससे भारत में पहली बार औरोरा(ध्रुवीय ज्योति पुंज) नजर आई जिसे दक्षिण पूर्व लद्दाख में लेह के निकट लगभग पंद्रह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित प्रकाशीय तथा अवरक्त खगोल-भौतिकी की विश्व की सबसे ऊँची भारतीय खगोलीय वेधशाला ने रिकॉर्ड किया।
औरोरा अब तक ध्रुवीय क्षेत्रों अलास्का, आइसलैंड, नॉर्वे व अन्य देशों के कुछ हिस्सों में ही अत्यधिक ऊंचाई पर नजर आती रही हैं। इसी कारण इनके नाम में ही ध्रुवीय शब्द जुड़ा है। आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डा. शशि भूषण पांडे ने भारतीय खगोलीय वेधशाला के एक ट्वीट के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि यह पहली बार है जब भारत में औरोरा को देखा व कैमरे में रिकॉर्ड किया गया है। उन्होंने बताया कि इतने कम अक्षांश व ऊंचाई पर औरोरा को देखना अत्यंत दुर्लभ है। उन्होंने बताया कि विश्वभर के अंतरिक्ष विज्ञानी इस अविश्वसनीय, अनोखी और दुर्लभ घटना से हैरान हैं।
सौर्य गतिविधियों के अध्ययन से जुड़े आईआईए के वैज्ञानिक डा. वागीश मिश्रा ने बताया कि 21अप्रैल को बीते आठ वर्षों में सबसे बड़ा सौर तूफान आया था जिसके बाद भारत में पहली बार ये औरोरा रिकॉर्ड हुए हैं। उन्होंने बताया कि 32 डिग्री के जिस अक्षांश पर भारत में यह देखा गया उसी अक्षांश पर अमेरिका एरिजोना, वर्जीनिया आदि में भी इस औरोरा को ठीक उसी वक्त पर देखा गया। लद्दाख स्थित हेनले वेधशाला के इंजीनियर दोरजे आंगचुक ने इस दुर्लभतम घटना को रिकॉर्ड किया है।