8 दिसंबर 2021, दिन के 12 बजकर 20 मिनट, एक खबर आयी और पूरा देश थम गया। किसी ने मोबाइल उठाया तो किसी ने टीवी का रिमोट। किसी को भी समझ नही आ रहा था कि अचानक क्या हो गया। न्यूज़ चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह तमिलनाडु के कुन्नूर में सेना के विमान के क्रेश होने कि ब्रेकिंग चल रही थी। पता चला कि इस विमान में चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और उनकी पत्नी भी सवार हैं। खबर सुनने के बाद जो जहां था वो वहीं रुक गया, और खबर कि पुष्टि होने का इंतजार करने लगा। धीरे-धीरे समय गुजरता गया और तरह-तरह कि खबरें आने लगी। पहले खबर आई कि हादसे में दो लोगों कि मौत हुई है। फिर कुछ समय बाद खबर आई कि 4 लोगों के शव बरामद हुए हैं। इस बीच हादसे को लेकर तरह-तरह कि चर्चाएं भी होती रही। शाम होते-होते एक और खबर आई कि हादसे में 9 लोगों के मरने कि पुष्टि हुई है और 4 लोगों का अस्पताल में उपचार चल रहा है। पूरा देश अब भी सीडीएस रावत कि सलामती को दुआ कर रहा था।
फिर शाम 6 बजे के बाद जो खबर आई उसने हर आंख नम कर दी, आखिर वही अनहोनी हुई जिसका अंदेशा था और भारत मां का वीर सपूत हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गया। इन 6 घण्टों में पूरे देशवासियों कि दिलों की धड़कनें धक-धक करती रही।
जनरल रावत की स्कूली शिक्षा देहरादून में ही कैंबरीन हॉल स्कूल में और फिर शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में पूरी हुई। इसके बाद एक बार फिर वे देहरादून पहुंचे, जहां उनका चयन भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में हुआ था। यहां उन्होंने अपना बैच टॉप किया और इसके लिए उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। गढ़वाल के एक सामान्य गांव से निकलकर रायसीना के सबसे ऊंचे सैन्य ओहदे तक पहुंचे जनरल बिपिन रावत का सफर यहीं पर समाप्त हो गया। शायद किसी को पता नही था कि यह उनकी आखिरी उड़ान होगी। कहा जाता है कि सीडीएस बिपिन रावत कर्म से ही नहीं, मन से भी पूरी तरह फौजी थे। वे कभी निश्चिंत बैठना नहीं चाहते थे, न ही दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में पोस्टिंग लेकर आराम की जिंदगी जीना चाहते थे। हर समय उनकी इच्छा यही होती थी कि वे देश के सैनिकों के साथ, उनके बीच में रहें। उनका आंखिरी सफर भी कुछ ऐसा ही रहा।
अल्मोड़ा टुडे परिवार भारत मां के वीर सपूत सीडीएस जनरल बिपिन रावत को नमन करता है। जय हिंद…