नैनीताल : नासा के अंतरिक्ष यान पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य से निकलने वाली सौर पवन के सुराख का पता लगा लिया है। यह सुराख सूर्य का कोरोनल होल है। कई दशकों बाद इस रहस्य का पता चल पाया है।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पूर्व सौर विज्ञानी डा. वहाबुद्दीन ने बताया कि सूर्य से बेशुमार उच्च-ऊर्जावान कण बाहर निकलते हैं। जिनके उत्सर्जित होने की जानकारी तो थी, लेकिन इसके असल श्रोत की जानकारी नहीं थी। मगर नासा के पार्कर अंतरिक्ष यान ने इसका सुराख खोज लिया।
सूर्य के कोरोनल छिद्र के भीतर सुपर ग्रेनुलेशन उत्पन्न होता है। जिसके तहत कोरोनल छिद्र सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में गहरे रंग के अलग प्रकार के छिद्र होते हैं। इन छिद्रों में तेज गति वाली सौर पवन की बयार फूट पड़ती है, जो सूर्य से दूर और बहुत दूर छिटकती है। नासा ने पार्कर अंतरिक्ष यान को 2018 में लांच किया था।
पार्कर सोलर प्रोब सूर्य को छूने वाला पहला अंतरिक्ष यान है। उसने 2021 में सूर्य को पहली बार स्पर्श किया था। तब सूर्य के केंद्रीय सतह से दूरी 5.2 मिलियन मील रह गई थी। उस समय पार्कर ने सूर्य के विस्पी कोरोना के माध्यम से उड़ान भरी थी।
आधुनिक तकनीक के जरिये यह संभव हो सका। सूर्य का यह 25वां सोलर चक्र चल रहा है। खास बात यह कि इस चरण में वह बेहद सक्रिय है और निरंतर विस्फोट कर रहा है। जिसमें सौर कलंक बन रहे हैं, कोरोनल होल नजर आ रहे हैं। साथ ही उच्च स्तरीय सौर कणों को बाहर फेंक रहा है।
जिसका असर पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों पर तक नजर आ रहा है। सूर्य की इस सक्रिय अवस्था में उसकी अनेक जानकारियां मिलना आसान हो जाता है। नासा का अंतरिक्ष यान पार्कर बखूबी अपने कार्य को अंजाम दे रहा है। पार्कर सूर्य के बहुत नजदीक मौजूद है और सूर्य की प्रत्येक गतिविधि को भलीभांति देख सकता है। जिस कारण यह खोज हो सकी।