सरोवर नगरी नैनीताल की इतनी दुर्गती कभी नही हुई होगी जितनी अब हो रही है। यहाँ के रहनुमाओं ने पहले ही खूबसूरत नैनीताल को कंक्रीट का जंगल बना दिया अब बची खुची कसर फड़ व्यवसायियों ने पूरी कर दी। लाखो रुपये की लागत से नगर पालिका परिषद द्वारा मल्लिताल बैंड हाउस के पास महर्षि वाल्मीकि पार्क और चिल्ड्रन पार्क का निर्माण किया गया था। पार्क के अंदर खूबसूरत बेंच लगाई गई और गॉर्डन बनाया गया,चारो तरफ से सुंदर रेलिंग का निर्माण किया गया लेकिन अब यही सुंदर रेलिंग मात्र हैंगर बन कर रह गयी है। फड़ व्यवसायियों ने इन रेलिंग्स पर जैकेट्स,कोट,और तमाम तरह के गर्म कपड़े टांग दिए,जिसकी वजह से न तो पार्क ही नज़र आता है न ही झील का दीदार ही हो पाता है। इतना ही नही पंत पार्क से लेकर गुरुद्वारा तक पेड़ो को भी नही छोड़ा इन सब जगह फड़ खोखा वालो ने कब्जा जमा लिया है। ये पेड़ अब कपड़ो के डिस्पले स्थल के रूप में नज़र आ रहे है,लेकिन नगर पालिका प्रशासन मौन है। नगर पालिका का जब मन करता है सिर्फ तभी फड़ वालो को रोका जाता है नगर पालिका की गाड़ी वापस जाते ही दोबारा फड़ लगने शुरू हो जाते है। इस अतिक्रमण पर प्रशासन और नगर पालिका परिषद पर सवाल खड़े होने लगे है।
गौर करने वाली बात है कि हाईकोर्ट के सख्त निर्देशो के बावजूद पंत पार्क से गुरुद्वारा तक आपको सैलानी कम और फड़ व्यवसायियों की सजी हुई ये दुकानें ही दिखाई देंगी। लाखो की लागत को बर्बाद कर जो पार्क बनाये गए थे उनमें भी अब ताले लटके हुए है। इसमें अतिश्योक्ति भी नही कि अगर ये ताले हटा दिए जाएं तो यहां भी फड़ कारोबारी अपनी दुकानें लगाने लग जाएंगे। पिछले साल हाईकोर्ट के निर्देशानुसार केवल 121 फड़ो को ही दुकान लगाने की अनुमति मिली थी लेकिन आज 200 से भी ज़्यादा दुकानें दिखाई दे रही है। पंत पार्क से गुरुद्वारा तक कई फ़ूड स्टॉल भी लगाए जा रहे है जो हाइजीन के मापदंड पर फेल है,और गंदगी फैलाते है, यहां का कूड़ा झील तक भी जाता है क्योंकि जो सैलानी यहां चाट पार्किंग से सामान लेते है वो अक्सर झील के चारो तरफ बनी रेलिंग पर बैठ कर खाते है और बेखौफ होकर कूड़ा झील में फेंक देते है। फ़ूड स्टॉल वाले भी उन्हें नही टोकते।
बीते वर्षों में झील संरक्षण परियोजना के तहत पंत पार्क क्षेत्र में हुए सौंदर्यीकरण के बाद तत्कालीन डीएम राकेश कुमार ने यहाँ फड़ व्यवसाय को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन फड़ व्यवसायियों द्वारा जमकर प्रदर्शन किया गया उस दौरान करीब दो वर्ष ये पूरी जगह अतिक्रमण मुक्त हो गयी थी। योजना के तहत ही सैलानियों के लिए खूबसूरत बेंच और कूड़ादान लगाए गए थे ताकि कही भी गंदगी न फैले। आज ये कूड़ेदान लगभग गायब हो चुके है पेड़ और पार्क की रेलिंग सिर्फ और सिर्फ हैंगर बन चुकी है। हाईकोर्ट के निर्देश भी दरकिनार किये जा रहे है। नगर पालिका द्वारा दुकान आवंटन,चिन्हीकरण के बावजूद प्रशासन की शिथिलता से पंत पार्क से लेकर गुरुद्वारा तक अतिक्रमण ही अतिक्रमण हो रहा है। गांधारी बन चुके प्रशासन की नाक के नीचे फड़ व्यवसायियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।