देहरादून। केदारनाथ की ऊंची चोटियों पर शनिवार एक अक्टूबर को आए एवलांच से हड़कंप मच गया। धाम में मौजूद लोग भयभीत हो गए। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में एवलांच आना आम बात है। लेकिन ये एवलांच या बर्फीले तूफान कभी कभी बेहद खतरनाक हो जाते हैं। तकनीकी तौर पर एवलांच आखिर कैसे आता है? इससे बचने के लिए क्या सावधानी बतरनी जरूरी है आइए जानते हैं।
मौसम विशेषज्ञों और विज्ञानियों के मुताबिक एवलांच को हिमस्खलन या बर्फीला तूफान भी कहा जाता है। हिमालय के ऊंचे हिस्सों में बर्फीला तूफान आना साधारण बात है।एवलांच तब आता है जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा बर्फ जम जाती है और दबाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो ये अपनी जगह से खिसक जाती है।
लेकिन ऊंची चोटियों पर भारी बर्फ जमा होने से ये बर्फीला तूफान खतरनाक हो जाता है। दबाव से बर्फ की परतें खिसक जाती हैं और तेज बहाव के साथ नीचे की ओर बहने लगती हैं। रास्ते में जो कुछ आता है उसे ये तूफान अपने साथ बहा ले जाता है।
बर्फीले तूफान को प्राकृतिक गतिविधि के तौर पर देखा जाता है। लेकिन अब इंसानी हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन भी एवलांच आने का कारण माने जा रहे हैं। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी कई बार एवलांच की घटनाएं सामने आती हैं। इसी तरह हिमालय की गोद में बसे जम्मू कश्मीर और हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में समय समय पर एवलांच की घटनाएं सामने आती हैं।
Kedarnath के पास Avalanche का भयानक Video #Shorts https://t.co/3Bj3Jv23DA via @YouTube
— Neha Bohra (@neha_suyal) October 1, 2022
स्कीईंग टीम द्वारा छोटे विस्फोट कर बड़े हिमस्खलन को रोका जाता है। वहीं नुकसान बचाने के लिए बाड़ भी लगाई जाती है। ताकी बर्फ की गति का कुछ कम किया जा सके।
हिमस्खलन से बचने के लिए जरूरी एहतियात
जहां बर्फ खिसकने का खतरा हो उन ढलानों से बचकर चलें।
अगर बर्फीले इलाकों में जा रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाएं।
अपने साथ हथौड़ा, कुदाल, रस्सी, और सुरक्षा के सामान व कुछ खाने की चीजें जरूर रखें।
नदियों के किनारे अतिक्रमण न करें और न ही घर बनाएं।
नदी व खड्डों में खनन न करें।