उत्तराखंड, एक ऐसा विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य, जिसके 71 प्रतिशत से अधिक भूभाग में वन क्षेत्र है। साक्षरता दर जरूर 80 प्रतिशत के आसपास है, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क संपर्क के दृष्टिकोण से अभी भी अपेक्षाकृत काफी पिछड़ा हुआ है। अब अगर देश के प्रधानमंत्री स्वयं यहां सीमांत के एक गांव तक पहुंचकर कहते हैं कि सीमा पर बसा प्रत्येक गांव देश का अंतिम नहीं, पहला गांव है और सरकार इसी सोच को आधार बना विकास का खाका तैयार कर रही है, तो भविष्य के लिए उम्मीद तो बंधती ही है। कनेक्टिविटी यानी संपर्क को विकास की पहली सीढ़ी बता अगर प्रधानमंत्री कहते हैं कि रेल, रोड और रोप वे के माध्यम से उत्तराखंड प्रगति के नए सोपान तय करेगा, तो निश्चित रूप से आने वाले कुछ वर्षों में उत्तराखंड देश का एक आदर्श राज्य बन सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दीपावली से पहले केदारनाथ और बदरीनाथ पहुंचे। केदारनाथ में उन्होंने पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। दोनों धाम में उन्होंने 3400 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस बार उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों के विषम भूगोल वाले क्षेत्रों में आवागमन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण दो रोप वे परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें 1267 करोड़ की लागत से बनने वाली 9.7 किमी लंबी गौरीकुंड-केदारनाथ रोप वे और 1163 करोड़ की लागत से तैयार होने वाली 12.4 किमी लंबी गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोप वे परियोजनाएं शामिल हैं।