नई दिल्ली। कहते हैं बच्चे भगवान का रूप होते हैं और उनकी छोटी-छोटी नादानियां हमें भगवान की बाल लीलाओं का अनुभव कराती हैं। यूं तो बच्चों की हर छोटी-बड़ी गलतियों को परिवार और समाज नजरअंदाज करता है, लेकिन बिहार के नालंदा जिले में एक बच्चे की छोटी से गलती ने न केवल उसे सलाखों के पीछे पहुंचाया बल्कि कोर्ट जाने पर भी विवश कर दिया। मामला जब कोर्ट पहुंचा तो वहां मौजूद जज पूरी कहानी सुनकर स्तब्ध रह गये। सुनवाई के दौरान जज न केवल बच्चे के खिलाफ शिकायत करने वाली महिला को कोसा बल्कि पुलिस को भी नसीहत दी कि बच्चों के मामलों में हमें सहिष्णु और सहनशील होना पड़ेगा, उनके द्वारा की गयी गलतियों को समझना होगा तभी बच्चों में भटकाव नहीं आयेगा। दरअसल बिहार के नालंदा जिले में स्थित हरनौत गांव में एक किशोर अपने ननिहाल रहने के लिए आया था। विगत सात सितम्बर को भूख लगने पर वह पड़ोस की मामी के घर चला गया और उनका फ्रीज खेलकर उसमें रखी मिठाई खा गया। इस दौरान उसने फ्रीज के उपर रखा मोबाइल उठाकर निकल गया। इसके बाद किशोर मोबाइल पर गेम खेलने में मस्त हो गया। जब मामी ने किशोर के हाथ में मोबाइल देखा तो उसने उसे न सिर्फ डांटा बल्कि पुलिस के हवाले कर दिया। इस मामले में सुनवाई करते हुए जुवेनाइल के चीफ मजिस्ट्रेट मानवेंद्र मिश्र ने कहा, हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है। भगवान कृष्ण कई बार दूसरे के घर से माखन चुराकर खा लेते थे और मटकी भी फोड़ देते थे। अगर आज के समाज जैसा तब का समाज होता तो बाल लीला की कथा ही नहीं होती। आदेश में यह भी कहा है कि पड़ोसी को भूख लगी है, बीमार है, लाचार है तो बजाय सरकार को कोसने के पहले हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार पहल करनी होगी। चीफ मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि बिहार किशोर न्याय अधिनियम 2017 के तहत पुलिस को इस मामले में एफआईआर की बजाय यह केस डेली जनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए था। यदि अपराध साधारण प्रकृति का हो और केवल किशोर द्वारा किये जाने की पुष्टि हो तो ऐसे मामले में एफआईआर नहीं होती है। जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किशोर सुरक्षित रहे। किसी बदसलूकी या तंगी के कारण वह फिर से अपराध करने के लिए मजबूर न हो।
और जज के सामने किशोर ने बताई अपनी व्यथा
मिठाई चोरी के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंचे किशोर ने सुनवाई के दौरान जब जज साहब को अपनी पीड़ा सुनाई तो वहां मौजूद हर इंसान भावुक हो गया। किशोर ने बताया कि मेरे पिता बस ड्राइवर थे। एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। तब से वे बेड पर हैं। मां मानसिक रूप से बीमार है। परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है। तंगी के कारण मां का इलाज नहीं हो पा रहा। नाना और मामा की मौत हो चुकी है। नानी काफी बुजुर्ग हैं। मेरे माता-पिता कोर्ट आने में लाचार हैं। अब मैं आगे ऐसा नहीं करूंगा।