अल्मोड़ा जिले में तीन लाख महिला आबादी का स्वास्थ्य रामभरोसे है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के पीएचसी, सीएचसी में महिला रोग विशेषज्ञों के पद सृजित नहीं हैं। वहीं महिला अस्पताल में तीन के सापेक्ष दो महिला रोग विशेषज्ञों की तैनाती है तो मेडिकल कॉलेज के अधीन बेस अस्पताल में चार के सापेक्ष महज एक महिला रोग विशेषज्ञ की तैनाती हुई है। ऐसे में अस्पतालों में एएनएम के भरोसे प्रसव हो रहे हैं।
अल्मोड़ा जिले में सात सीएचसी और चार पीएचसी खोले गए हैं। हैरानी की बात यह है कि किसी भी अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ का पद सृजित नहीं है। इन अस्पतालों में प्रसव का जिम्मा एएनएम के भरोसे है। गंभीर स्थिति में इन अस्पतालों में पहुंची प्रसव पीड़िताओं को रेफर करना मजबूरी बन गया है। वहीं महिला अस्पताल और बेस अस्पताल जैसे हायर सेंटर में भी महिला रोग विशेषज्ञों की कमी है। महिला अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ के तीन पद स्वीकृत हैं। लेकिन एक पद सालों से रिक्त चल रहा है। वहीं बेस अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञों के पांच पद स्वीकृत हैं, इसके सापेक्ष महज एक विशेषज्ञ तैनात है। इससे साफ है कि जिले में महिलाओं के लिए स्वास्थ्य व्यवस्थाएं बदहाल हैं। बावजूद इसके बेटी बचाओ और महिला सशक्तीकरण जैसे अभियान संचालित हो रहे हैं। बदहाल व्यवस्थाओं के बीच मानूसनकाल में स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवतियों को राहत पहुंचाई है। मानसूनकाल में स्वास्थ्य विभाग ने 500 गर्भवतियों को चिन्हित किया गया था, जिन्हें प्रसव के लिए नजदीकी अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता और एएनएम को दी गई थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया है। इस मानसूनकाल में अब तक 480 गर्भवतियों का प्रसव अस्पतालों में कराया गया है। बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का अंदाजा 108 एंबुलेंस में हुए प्रसव से लगाया जा सकता है। बीते एक साल में 180 गर्भवतियों को 108 एंबुलेंस में प्रसव कराना पड़ा है। इनमें से अधिकतर केस किसी न किसी अस्पताल से रेफर होकर आए हैं। अस्पतालों में महिला रोग विशेषज्ञों की तैनाती न होने से यहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रसव पीड़िताओं को हायर सेंटर रेफर कर दिया। लेकिन हायर सेंटर पहुंचने से पहले ही उनका प्रसव हो गया। हैरानी की बात यह है कि सभी केसों में 108 कर्मियों ने उनका सुरक्षित प्रसव कराकर स्वास्थ्य विभाग को आइना दिखाया है। सीएमओ डॉ. आरसी पंत का कहना है कि सीएचसी, पीएचसी में महिला रोग विशेषज्ञों के पद सृजित नहीं है। एएनएम को प्रसव कराने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। जिला और बेस अस्पताल में पर्याप्त महिला रोग विशेषज्ञों की तैनाती के प्रयास हो रहे हैं।